HANUMAN CHALISHA FOR DUMMIES

Hanuman chalisha for Dummies

Hanuman chalisha for Dummies

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जय हनुमान ज्ञान गुण सागर। जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥

For all pranayama (other than Kapalabhati), the breath is gradual and continuous, breathed out and in in the nose and down in to the belly. constantly sit having a straight spine plus a peaceful system. While you are training pranayama, Enable go of any views by specializing in the breathing involved with the pranayama.

भावार्थ – जो प्राणी वीरश्रेष्ठ श्री हनुमान जी का हृदयसे स्मरण करता है, उसके सभी संकट दूर हो जाते हैं और सभी प्रकार की पीड़ाएँ समाप्त हो जाती हैं।

हनुमान चालीसा, लाभ, पढ़ने का सही समय, क्यों पढ़ें?

श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि ।

You are actually blessed by mom Janaki to offer boon further, to the deserving types, whereby you could grant the siddhis (eight distinctive powers) as well as nidhis (9 distinct types of wealth).

व्याख्या – श्री हनुमान जी से अष्टसिद्धि और नवनिधि के अतिरिक्त मोक्ष या भक्ति भी प्राप्त की जा सकती है। इस कारण इस मानव जीवन की अल्पायु में बहुत जगह न भटकने की बात कही गयी है। ऐसा दिशा–निर्देश किया गया है जहाँ से चारों पुरुषार्थ (धर्म, अर्थ, here काम और मोक्ष) प्राप्त किये जा सकते हैं।

रामचन्द्र के काज सँवारे ॥१०॥ लाय सञ्जीवन लखन जियाये ।

व्याख्या– राजपद पर सुकण्ठ की ही स्थिति है और उसका ही कण्ठ सुकण्ठ है जिसके कण्ठपर सदैव श्री राम–नाम का वास हो। यह कार्य श्री हनुमान जी की कृपा से ही सम्भव है।

भावार्थ – हे पवनकुमार! मैं अपने को शरीर और बुद्धि से हीन जानकर आपका स्मरण (ध्यान) कर रहा हूँ। आप मुझे बल, बुद्धि और विद्या प्रदान करके मेरे समस्त कष्टों और दोषों को दूर करने की कृपा कीजिये।

व्याख्या – श्री हनुमान जी अष्ट–सिद्धियों से सम्पन्न हैं। उनमें सूक्ष्मातिसूक्ष्म एवं अति विस्तीर्ण दोनों रूपों को धारण करने की विशेष क्षमता विद्यमान है। वे शिव (ब्रह्म) का अंश होने के कारण तथा अत्यन्त सूक्ष्म रूप धारण करने से अविज्ञेय भी हैं ‘सूक्ष्मत्वात्तदविज्ञेयम्‘ साथ ही काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, अहंकार, दम्भ आदि भयावह एवं विकराल दुर्गुणों से युक्त लंका को विशेष पराक्रम एवं विकट रूप से ही भस्मसात् किया जाना सम्भव था। अतः श्री हनुमान जी ने दूसरी परिस्थिति में विराट् रूप धारण किया।

Oh mighty valorous 1, of terrific deeds whose system organs are as potent as Diamond (or the weapon of God Indra). treatment my undesirable thoughts oh companion of Individuals with pure (excellent) intellect.

व्याख्या – उपमा के द्वारा किसी वस्तु का आंशिक ज्ञान हो सकता है, पूर्ण ज्ञान नहीं। कवि–कोविद उपमा का ही आश्रय लिया करते हैं।

सियराम–सरूपु अगाध अनूप बिलोचन–मीननको जलु है।

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